top of page

नवरात्रि के आठवें दिन: माँ महागौरी की पूजा का ज्योतिषीय महत्व

नवरात्रि के आठवें दिन, जिसे महाअष्टमी कहा जाता है, माँ दुर्गा के आठवें स्वरूप, माँ महागौरी

की पूजा की जाती है। यह दिन न केवल भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है बल्कि

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत प्रभावशाली है। आइए जानें माँ महागौरी की पूजा विधि,

उनकी पौराणिक कथाएँ, और ज्योतिषीय महत्व।

माँ महागौरी का दिव्य स्वरूप :

माँ महागौरी का रूप अत्यंत गोरा और दिव्य है। उनके रूप की तुलना शंख, चमेली के फूल

और चंद्रमा से की जाती है। उनका स्वरूप शांति, सौम्यता और समर्पण का प्रतीक है। माँ

महागौरी का पूजा विधि-विधान से करने से भक्तों को उनके जीवन की सभी समस्याओं से

राहत मिलती है और सभी प्रकार की इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

पौराणिक कथा :

माँ महागौरी के संबंध में दो प्रमुख पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं:

1. पहली कथा: माँ पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या

की। इस तपस्या के दौरान उनके शरीर पर धूल-मिट्टी लग गई, जिससे उनका रूप

काला पड़ गया। तपस्या समाप्त होने के बाद, उन्होंने गंगा नदी के पवित्र जल से

स्नान किया और अपने रूप को पुनः निखारा। इस प्रकार, माँ महागौरी का रूप पुनः

शुभ और दिव्य हो गया।

2. दूसरी कथा: शुम्भ-निशुम्भ नामक राक्षसों का वध करने के लिए माँ पार्वती ने

महाकाली का रूप धारण किया। इस रूप के कारण उनका रूप इतना काला हो गया

कि उसे पुनः प्राप्त करने के लिए उन्होंने तपस्या की। उन्हें मानसरोवर झील के

पवित्र जल से स्नान करने का निर्देश मिला, जिससे उनका रूप फिर से स्वच्छ और

सुंदर हो गया।

पूजा विधि और महत्व :

1. सुबह की तैयारी: प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।

2. मूर्ति पूजा: माँ की प्रतिमा को गंगाजल से स्वच्छ करें और पांच देसी घी के दीपक जलाएं।

3. अर्पण: माता को सफेद वस्त्र और पुष्प अर्पित करें। रोली, कुमकुम चढ़ाएं और नारियल की बर्फी, लड्डू या नारियल का भोग लगाएं।

4. मंत्र जाप: माँ का ध्यान कर दुर्गासप्तशती का पाठ करें।

5. आरती और कन्यापूजन: आरती करने के बाद विधि-विधान से कन्या पूजन करें और

उन्हें उपहार दें।माता को सफेद वस्त्र और पुष्प अर्पित करें। रोली, कुमकुम चढ़ाएं और नारियल

की बर्फी, लड्डू या नारियल का भोग लगाएं।

6. मंत्र जाप: माँ का ध्यान कर दुर्गासप्तशती का पाठ करें।

7.आरती और कन्यापूजन: आरती करने के बाद विधि-विधान से कन्या पूजन करें और

उन्हें उपहार दें।


यदि संभव हो, तो किसी विद्वान पंडित से माँ की स्थापना एवं पूजन करवाना चाहिए। संपूर्ण विधि-विधान से नवरात्रि की स्थापना और पूजन के लिए आप हमारी वेबसाइट www.rajguruastroscience.com पर संपर्क कर सकते हैं या फोन नंबर 9256699947 पर हमें कॉल कर सकते हैं।


ज्योतिषीय महत्व :

माँ महागौरी की पूजा का ज्योतिषीय महत्व अत्यधिक है। यह पूजा विशेष रूप से राहु ग्रह के

दुष्प्रभावों को नष्ट करने में सहायक होती है। साथ ही, यह पूजा उन लोगों के लिए भी

फायदेमंद है जो जीवन में भय और समस्याओं से ग्रस्त हैं। यहाँ कुछ प्रमुख ज्योतिषीय लाभ हैं:

राहु ग्रह के दुष्प्रभावों से मुक्ति: माँ महागौरी की पूजा से राहु ग्रह के दुष्प्रभाव कम होते हैं और जीवन में शांति की प्राप्ति होती है।

विवाह संबंधी समस्याएं: इस पूजा के माध्यम से विवाह में आ रही समस्याएं दूर होती हैं और मनपंसद जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।

संकटों का नाश: माँ महागौरी की उपासना से जीवन में आने वाले संकट दूर होते हैं और पापों से मुक्ति मिलती है।

सुख और सौभाग्य: माँ की कृपा से सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।


स्तुति

माँ महागौरी की कृपा प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:


मंत्र:

-श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

-या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


नमस्कार मंत्र:

सर्वमंगल मांगल्यै, शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते।।


नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा का विशेष महत्व है। यह दिन न केवल आध्यात्मिक शांति और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी कई लाभकारी प्रभाव प्रदान करता है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से राहु ग्रह के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।


जय माँ महागौरी!

Recent Posts

See All
क्या भारत-पाकिस्तान के तनाव से शुरू हो चुका है तीसरे विश्व युद्ध कासंधिकाल?

शनि-मीन योग और नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों के अनुसार 2025-26 वैश्विक युद्ध, प्राकृतिक आपदा और भारत की निर्णायक भूमिका का संकेत देता है।

 
 
 

Comments

Couldn’t Load Comments
It looks like there was a technical problem. Try reconnecting or refreshing the page.
bottom of page