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9 नवंबर को है गोपाष्टमी, जानें इस खास दिन पर गाय की पूजा करने का महत्व :

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन गौ पूजन करने से कभी भी दुखों का सामना नहीं करना पड़ता है। हिंदू धर्म में गायों की पूजा का विशेष महत्व है। गाय को माता का दर्जा भी दिया गया है।

इस साल गोपाष्टमी का पर्व 9 नवंबर रविवार को है। इस दिन गायों की पूजा की जाती है। गाय-बछड़े दोनों को सजाया जाता है। और सुख-समृद्धि की कामना से उनकी पूजा की जाती है। मान्यता है कि इसी दिन से भगवान श्रीकृष्ण और बलराम ने गौ चरण की लीला शुरू की थी यह पर्व मथुरा, वृदांवन और ब्रज के क्षेत्रों में प्रसिद्ध त्योहार है।


क्यों करते है गायों की पूजा :

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गाय को माता माना जाता है। इसी प्रकार गाय को धन-समृद्धि की देवी और लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। इसलिए गाय को माता के रुप में पूजा जाता है। गाय का संंबध भगवान विष्णु से भी है, जिन्हें ब्रह्मांड के रक्षक और पालनकर्ता के रूप में जाना जाता है। ऐसा भी माना जाता है, गाय में 33 करोड़ देवी-देवता वास करते हैं, इसलिए गाय को पूजा जाता है। माना जाता है कि जो लोग गौ माता को पहली रोटी खिलाते हैं उनके घर से कभी बरकत खत्म नहीं होती है। गौ माता का दूध तो पौष्टिक होता ही है साथ ही साथ गौ माता के मूत्र से भी अनेक दवाईयां भी बनाई जाती हैं। 

अमृत मंथन में जितने भी रत्न प्राप्त हुए थे उनमें से एक कामधेनु गाय माता भी थी, और शेष गाय उन्हीं की संतिती है। कामधेनु ऐसी गाय थी जो सबकी इच्छा पूरी कर दिया करती थी। और हिन्दू धर्म में गाय को बड़ा शुभ माना जाता है जो इसको पालन करते हैं, उनके घर में शुभता रहती है। इसलिए कहते हैं कि गायों को चारा देना और उसकी सेवा करना चाहिए। गौ माता को देव तुल्य समझा जाता है।

साथ ही कहा जाता है कि जहां गौ माता खड़ी होती हैं उस जगह का वास्तु दोष भी अपने आप ही खत्म हो जाता है। गौ माता का दूध अगर बच्चे पीते हैं तो बच्चे हष्ट- पुष्ट और बलवान बनते हैं। उनकी बुद्धि भी तीव्र होती है। गौ माता के गोबर की धूनी घर में देने से नकारात्मक दोष समाप्त होते हैं। इसके साथ ही गौ माता के दान को महादान भी माना गया है। 

गाय की पूजा का महत्व :

गोपाष्टमी के दिन गाय की पूजा का बहुत महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन गाय माता की अराधना करने से जीवन में नवग्रहों के दोष दूर हो जाते है। और धन संकट की समस्या भी दूर हो जाती है। 


गोपाष्टमी 2024 मुहूर्त :

पंचाग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 08 नवंबर को रात 11 बजकर 56 मिनट से होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 09 नवंबर को रात 10 बजकर 45 मिनट पर होगा। ऐसे में गोपाष्टमी का पर्व 09 नवंबर को मनाया जाएगा।


ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 54 मिनट से 05 बजकर 47 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से 02 बजकर 37 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 30 मिनट से 05 बजकर 57 मिनट तक |

अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 26 मिनट तक।


गोपाष्टमी पूजा विधि :

  • इस दिन सुबह जल्दी उठें।

  • स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।

  • बछड़ों और गायों को स्नान कराएं।

  • सूर्य देव को अर्घ्य दें।

  • इसके बाद गाय और बछड़ों का तिलक करें।

  • चौकी पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को विराजमान करें।

  • दीपक जलाकर भगवान श्रीकृष्ण और गौ माता की आरती करें।

  • जीवन में सुख-शांति की कामना करें।

  • भगवान कृष्ण को माला और भोग प्रसाद चढ़ाएं।

  • फिर गाय को रोटी गुड़, फल और मिठाई खिलाएं।

  • इसके बाद भगवान कृष्ण और गौ माता से आशीर्वाद लें।

  • अंत में लोगों को श्रद्धा अनुसार दान करें।


इन मंत्रों का करें जप :


सुरभि त्वं जगन्मातर्देवी विष्णुपदे स्थिता, सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्तमिमं ग्रस,

तत: सर्वमये देवि सर्वदेवैरलड्कृते, मातर्ममाभिलाषितं सफलं कुरु नन्दिनी!!

सुरूपा बहुरूपाश्च विश्वरूपाश्च मातरः।

गावो मामुपतिष्ठन्तामिति नित्यं प्रकीर्तयेत्।।


क्या करें इस विशेष दिन पर :

इस दिन प्रातःकाल में गौओं को स्नान कराएं, स्नान के बाद गौ को माला और आभूषण इत्यादि से सजाएं, एक वस्त्र जरूर ओढ़ाए. इसके बाद गन्ध पुष्पादि से उनका पूजन करें. गायों को गोग्रास देकर उनका पूजन करें और उनकी परिक्रमा करें और थोड़ी दूर तक उनके साथ जाए. 

हरा चारा और गुड़ का भोजन कराएं:

जो लोग गौ सेवा करते हैं, उनका पूजन करते हैं, उन्हें इस दिन गाय को हरा चारा और गुड़ जरुर खिलाना चाहिए. इससे न केवल गौ माता का आशीर्वाद मिलता है बल्कि कुपित बुध ग्रह भी शांत होते हैं.

चरणरज का तिलक करेंगोपाष्टमी के सायंकाल में गौओं की वापसी के समय एक बार पुनः उनका स्वागत करें, चरण धोए और पञ्चोपचार पूजन करके कुछ भोजन जरुर कराएं. गौ माता के पैर छूकर उनका आशीर्वाद ले और उनकी चरणों की धूल का अपने माथे पर तिलक लगाकर उनसे प्रार्थना करें.

ग्वालों को सम्मान भी करेंगौ माता के साथ उनकी सेवा करने वाले ग्वालों का भी पूजन करें. गौ माता के साथ ग्वालों का भी तिलक लगाकर उन्हें भोजन कराएं साथ ही कुछ उपहार भी अवश्य दें.

गौ सेवा का भाव लाएं

गाय के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए गोपाष्टमी सर्वश्रेष्ठ दिन है. इस विशेष दिन पर गौ पूजन के साथ अपने भीतर उनकी सुरक्षा का भाव लाएं. गौ माता के आहार और पालन पोषण के लिए गौशाला में दान करें और कोशिश करें किसी विशेष दिन नहीं बल्कि हर रोज गौ माता की सेवा करें और उन्हें भोजन कराएं.









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