महानवमी 2024: नवरात्रि का अंतिम दिन और देवी दुर्गा की पूजा का महत्व :
- Bhavika Rajguru
- Oct 10, 2024
- 3 min read
नवरात्रि का पर्व भारतीय संस्कृति में एक विशेष महत्व रखता है, जिसमें माता दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की
पूजा की जाती है। इस वर्ष, महानवमी, जो नवरात्रि का नौवां और अंतिम दिन है, 11 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन देवी दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की विशेष पूजा की जाती है। आइए जानें महानवमी का महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और संधि पूजा के बारे में विस्तार से।
महानवमी 2024: तिथि और शुभ मुहूर्त :
महानवमी 11 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी। नवमी तिथि 11 अक्टूबर को दोपहर 12:06 बजे शुरू होगी और 12 अक्टूबर को रात 10:58 बजे समाप्त होगी। इस दिन के लिए विभिन्न मुहूर्त इस प्रकार हैं:
सामान्य मुहूर्त: सुबह 06:20 बजे से 07:47 बजे तक
लाभ मुहूर्त: सुबह 07:47 बजे से 09:14 बजे तक
अमृत समय: सुबह 09:14 बजे से 10:41 बजे तक
शुभ मुहूर्त: दोपहर 12:08 बजे से 01 बजे तक
महानवमी पूजा की विधि :
महानवमी पर पूजा का एक विशेष महत्व है। पूजा करने की विधि निम्नलिखित है:
1. प्रसाद तैयार करें: देवी मां के प्रसाद में हलवा, पूरी, नौ प्रकार के फूल, फल आदि शामिल करें।
2. मंत्रों का जाप करें: मां दुर्गा का ध्यान करते हुए मंत्रों का जाप करें।
3. अर्पित करें: मां को फल, भोजन, मिठाई, पांच सूखे मेवे, नारियल आदि अर्पित करें।
4. दुर्गा सप्तशती का पाठ: दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
5. कथा सुनें: नवरात्रि के नौवें दिन की कथा सुनें या पढ़ें।
6. आरती करें: अंत में मां दुर्गा की आरती करें।
7. कन्या पूजन: कन्या पूजन करें, यह नवरात्रि का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।
8. प्रसाद ग्रहण करें: फिर प्रसाद ग्रहण करें और अपना व्रत खोलें।
महानवमी हवन :
महानवमी के दिन हवन का विशेष महत्व है, जिसे चंडी होम के नाम से भी जाना जाता है। हवन का समय
दोपहर का सबसे अच्छा माना जाता है। हवन करने से देवी शक्ति से अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए
प्रार्थना की जाती है।
महानवमी की कथा :
महानवमी की कथा के अनुसार, 8 दिवसीय युद्ध के बाद, देवी दुर्गा ने अपने लाल रूप में महिषासुर के
सामने प्रकट होकर उसे चुनौती दी। महिषासुर ने देवी का अपमान किया, लेकिन देवी ने उसे अपने त्रिशूल से
परास्त कर दिया। इस दिन की पूजा करने से भक्तों की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता
का संचार होता है।
महानवमी पर संधि पूजा :
महानवमी पर संधि पूजा नवरात्रि के आठवें और नौवें दिन के बीच की जाती है। यह अनुष्ठान 45 मिनट की
अवधि के दौरान किया जाता है, जिसे ;संधि; क्षण कहा जाता है। इस दौरान देवी की शक्ति अपने चरम पर होती है। भक्तों का मानना है कि इस पूजा में भाग लेने से आध्यात्मिक विकास, समृद्धि और दैवीय कृपा प्राप्त होती है।
संधि पूजा का विधि :
1. प्रार्थना करें: देवी दुर्गा को प्रार्थना करें और फूल अर्पित करें।
2. मंत्रों का जाप: भक्त ढोल और शंख बजाते हुए मंत्रों का जाप करते हैं।
3. आरती करें: श्लोक पढ़कर आरती करें।
4. प्रसाद वितरण: अनुष्ठान के अंत में प्रसाद का वितरण और दीप प्रज्ज्वलन करें।
महानवमी का पर्व न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मकता और
समृद्धि लाने का भी एक साधन है। इस दिन देवी दुर्गा की विशेष पूजा करने से भक्तों के जीवन में सुख
और शांति का संचार होता है।
इस महान अवसर पर हम सभी देवी दुर्गा से प्रार्थना करते हैं कि वे हमें शक्ति और ज्ञान प्रदान करें। जय माता दी!
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