📅 कबीर प्रकट दिवस: आध्यात्मिक जागरण का पर्व :
- Bhavika Rajguru

- Jun 6
- 3 min read
लेखिका: पुष्कर की लाल किताब ज्योतिर्विद भाविका राजगुरु
कबीर प्रकट दिवस हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा (11 जून 2025) को मनाया जाता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर में मई या जून में आता है। इसी दिन 1398 ईस्वी में काशी (वाराणसी) के लहरतारा तालाब में एक कमल के फूल पर शिशु रूप में संत कबीर साहेब सशरीर प्रकट हुए थे। उन्हें नीरू और नीमा नामक जुलाहा दंपति ने अपने साथ ले जाकर पाला-पोसा।

आज भी लहरतारा झील पर स्थित कबीर पंथ इस अद्भुत प्रकट लीला का प्रमाण माना जाता है। यही दिन उनके अनुयायियों द्वारा “कबीर प्रकट दिवस” के रूप में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है।(11 जून 2025)
🧘 संत कबीर: एक रहस्यवादी कवि, संत और समाज सुधारक
संत कबीर साहेब, जिनका जन्म वर्ष 1398 ई. में माना जाता है, भारत के भक्तिकालीन निर्गुण शाखा के अग्रदूत थे। वे पाखंड, अंधविश्वास, जातिवाद, कर्मकांड और मूर्ति पूजा के कट्टर विरोधी थे। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदायों को सच्चे ईश्वर की जानकारी देकर एकता का संदेश दिया।
उन्होंने जीवन भर यही बताया:
“साधो, यह मुरदों का गाँव”“राम रहीम एक है, नाम धराया दोय”
📖 कबीर और उनके प्रसिद्ध ग्रंथ :
कबीर की रचनाएं:
ग्रंथ | प्रमुख विषय | भाषा शैली |
कबीर साखी | आत्मा और परमात्मा का ज्ञान | राजस्थानी, पंजाबी मिश्रित खड़ी बोली |
कबीर बीजक | रमैनी, सबद, साखी | ब्रज और पूर्वी हिंदी |
कबीर शब्दावली | परमात्मा की अनुभूति | पंचमेल खिचड़ी भाषा |
कबीर सागर | परमात्मा की व्यापक व्याख्या | सधुक्कड़ी |
कबीर ग्रंथावली | पद और दोहे | मिश्रित बोली |
उनके दोहों को श्री गुरु ग्रंथ साहिब में भी सम्मिलित किया गया है — कुल 226 दोहे, जो किसी भी संत द्वारा सर्वाधिक हैं।
🕊️ जीवन की घटनाएं और शिक्षा :
1. रामानंद जी को गुरु बनाना:
कबीर जी ने गुरु बनाने के लिए एक लीला की। उन्होंने रामानंद जी के चरणों से स्पर्श कराया और राम नाम का उपदेश सुना। यही रामानंद जी उनके गुरु बने।
2. 52 कसौटियां और दिव्य धर्म यज्ञ:
कबीर जी को 52 बार मारने का प्रयास हुआ लेकिन वे अविनाशी परमेश्वर के परम भक्त व अंश स्वरुप हैं — कोई उनका कुछ न बिगाड़ सका।एक बार उनके विरोधियों ने भंडारे की अफवाह फैलाई, लेकिन कबीर साहेब ने 18 लाख लोगों को भोजन कराया। यह लीला केशव बंजारा रूप में स्वयं परमात्मा ने निभाई।
3. कबीर और सत्ता से टकराव:
दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोदी और उसका मंत्री शेखतकी भी इस लीला के साक्षी बने। जब शेखतकी ने निंदा की तो उसकी जीभ बंद हो गई और वह आजीवन मौन रहा।
💬 कबीर के अनमोल दोहे और विचार :
माटी कहे कुम्हार से तू क्या रौंदे मोए,इक दिन ऐसा आएगा मैं रौंदूंगी तोए।➡️ शक्ति का दुरुपयोग कभी न करें — समय बदलता है।
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।मोल करो तलवार का, पड़ी रहन दो म्यान।।➡️ व्यक्ति की जाति नहीं, उसके ज्ञान का मूल्य समझो।
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।।➡️ सच्ची भक्ति मन से होती है, हाथ से या दिखावें से नहीं।
पाहन पूजे हरि मिलें, तो मैं पूजूं पहार।ताते तो चक्की भली, पीसी खाए संसार।।➡️ कर्म ही पूजा है, निरर्थक मूर्तिपूजा नहीं।
सतयुग में सतसुकृत कह टेरा, त्रेता नाम मुनिन्द्र मेरा।द्वापर में करुणामय कहलाया, कलयुग में नाम कबीर धराया।।➡️ परमेश्वर चारों युगों में अलग-अलग नामों से प्रकट होते हैं।
🔮 कबीर साहेब और मनी अफर्मेशन :
मास्टर वाणी कबीर की मनी अफर्मेशन तकनीक से आप 60 दिनों में अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकते हैं। इसमें प्रतिदिन यह दोहराएं:
"मेरे पास हमेशा ज़रूरत से ज़्यादा पैसा होता है।"
"मैं अवचेतन स्तर पर धन को आकर्षित कर रहा/रही हूँ।"
"मैं ब्रह्मांड से आग्रह करता/करती हूँ कि वह मेरी धन संबंधी इच्छाओं को पूरा करे।"
यह आपके सोचने के तरीके को बदलकर ब्रह्मांड को सकारात्मक संकेत देता है।
कबीर साहेब सिर्फ एक संत नहीं, बल्कि परमेश्वर के अंश स्वरुप थे, जिन्होंने समाज को उसके झूठे आडंबरों से बाहर निकालकर सत्य, प्रेम, सेवा और सादगी की राह दिखाई।उनकी वाणी आज भी उतनी ही सशक्त, प्रासंगिक और प्रेरणादायक है।
👉 उनकी शिक्षाएं हमें आत्मनिरीक्षण, ईमानदारी, समरसता और सच्ची भक्ति की ओर ले जाती हैं।
लेखिका: पुष्कर की लाल किताब ज्योतिर्विद भाविका राजगुरु


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