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दुर्गा सप्तशती:- सभी कष्टों से मुक्ति का महा-उपाय :

दुर्गा सप्तशती का पाठ भक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। यह ग्रंथ, जिसे वेद व्यास

जी ने मार्कण्डेय पुराण में लिखा है, मानव कल्याण के उद्देश्य से रचित है। इसमें शक्ति और

उपासना का सर्वोच्च महत्व है और इसे सात सौ श्लोकों में संकलित किया गया है, जो तेरह

अध्यायों में विभाजित है।

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दुर्गा सप्तशती के अध्याय और उनका महत्व :

दुर्गा सप्तशती को तीन भागों में बांटा गया है: दुर्गा सप्तशती के प्रत्येक चरित्र में सात देवियों का उल्लेख मिलता है।

1. प्रथम चरित्र (महाकाली) तारा, काली, छिन्नमस्ता, सुमुखी, बाला और कुब्जा का उल्लेख किया गया है।

2. मध्यम चरित्र (महालक्ष्मी) लक्ष्मी, काली, ललिता, दुर्गा, गायत्री, अरुन्धती और सरस्वती का उल्लेख किया गया है।

3. उत्तम चरित्र (महा सरस्वती) माहेश्वरी, ब्राह्मी, वैष्णवी, कौमारी, वाराही, नारसिंही और चामुंडा का उल्लेख किया गया है।

मार्कण्डेय पुराण एवं देवी भगवत पुराण के अनुसार माता जगदम्बा के अवतरण का उद्देश्य श्रेष्ठ

मानवों की रक्षा बताया गया है। ऋगवेद में माता दुर्गा को आद्य शक्ति माना गया है, जो संपूर्ण

संसार का संचालन करती हैं और जगत में कोई अन्य अविनाशी नहीं है। दुर्गा सप्तशती का पाठ करने

वाले जातकों को सुख की प्राप्ति होती है, दुर्गा सप्तशती में तेरह अध्याय हैं, प्रत्येक अध्याय में देवी

की शक्ति और उपासना का वर्णन है।

दुर्गा सप्तशती के तेरह अध्याय और उनसे प्राप्त होने वाले फल :

दुर्गा सप्तशती में तेरह अध्याय हैं, और प्रत्येक का विशेष महत्व है। यहाँ इन अध्यायों और उनके फल के बारे में संक्षेप में बताया गया है:

1. प्रथम अध्याय: मेधा ऋषिका राजा सुरथ और समाधि की देवी की महिमा, मधु कैटभ प्रसंग।

o फल: इस अध्याय का पाठ करने से मानसिक चिंताएँ दूर होती हैं और खोई हुई चेतना पुनः प्राप्त होती है।

2. द्वितीय अध्याय: देवी माता का प्रादुर्भाव देवताओं के तेज से, महिषासुर की सेना का वध।

o फल: यह पाठ मुकदमे और झगड़ों में विजय दिलाता है, परंतु बुरी नियत से किया गया पाठ फल नहीं देता।

3. तृतीय अध्याय: सेनापतियों के साथ महिषासुर का वध।

o फल: यह पाठ शत्रुओं से छुटकारा पाने में सहायक है।

4. चतुर्थ अध्याय: इन्द्रादि देवताओं द्वारा देवी की स्तुति।

o फल: यह अध्याय भक्ति, शक्ति और दर्शन से जुड़ने के लिए लाभकारी है।

5. पंचम अध्याय: देवी की स्तुति, चण्ड-मुण्ड के द्वारा अम्बिका की प्रशंसा।

o फल: यह पाठ मनोकामनाओं को पूर्ण करने में सहायक होता है।

6. षष्ठम अध्याय: धूम्रलोचन का वध।

o फल: यह पाठ डर और बाधाओं से मुक्ति दिलाता है, खासकर तंत्र या भूत-प्रेत से जुड़ी समस्याओं में।

7. सप्तम अध्याय: चण्ड-मुण्ड का वध।

o फल: यह पाठ मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है, लेकिन किसी के अहित के लिए नहीं करना चाहिए।

8. अष्टम अध्याय: रक्तबीज का वध।

o फल: यह पाठ वशीकरण या मिलाप के लिए किया जाता है, बिछड़े हुए व्यक्तियों के लिए लाभकारी होता है।

9. नवम अध्याय: विशुम्भ का वध।

o फल: यह पाठ पुत्र प्राप्ति और खोए लोगों की वापसी के लिए किया जाता है।

10. दशम अध्याय: शुम्भ का वध।

o फल: संतान प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है, और संतान को सही मार्ग पर चलाने

में मदद करता है।

11. एकादश अध्याय: देवी की स्तुति और वरदान।

o फल: व्यापारियों के लिए यह अध्याय लाभकारी है, कारोबार में सफलता दिलाता है।

12. द्वादश अध्याय: देवी-चरित्रों के पाठ का महत्व।

o फल: मान-सम्मान और लाभ प्राप्ति के लिए किया जाता है, खासकर मिथ्या आरोपों के समय।

13. त्रयोदश अध्याय: सुरथ और वैश्य को देवी का वरदान।

o फल: यह पाठ भक्ति मार्ग में सफलता के लिए किया जाता है, पूर्ण भक्ति के लिए महत्वपूर्ण है।


इन अध्यायों का नियमित पाठ व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक होता है।

पाठ विधि :

दुर्गा सप्तशती का पाठ सावधानी से करना चाहिए। नवरात्रि के नौ दिनों में इसका पाठ अत्यंत शुभ माना गया है।

प्रारंभिक विधि

1. पवित्र स्थान पर वेदी बनाएं: मिट्टी लाकर जौ और गेहूं बोएं।

2. कलश स्थापना: पंचोपचार विधि से कलश की स्थापना करें।

3. मूर्ति की प्रतिष्ठा: पंचोपचार विधि से मूर्ति का पूजन करें।

4. सात्विक भोजन: मांस-मदिरा से दूर रहें।

5. स्वस्ति वाचन: हाथ में जल लेकर संकल्प लें।

6. गणेश पूजन: दुर्गा सप्तशती का पाठ प्रारंभ करने से पहले गणेश जी की पूजा करें।

7. षोडशोपचार पूजन: माता का पूरा पूजन करें।

8. संपूर्ण श्रद्धा से पाठ: दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

ध्यान रखने योग्य बातें

1. शापोद्धार: पाठ से पूर्व शापोद्धार करना आवश्यक है।

2. नर्वाण मंत्र: पाठ से पहले और बाद में नर्वाण मंत्र का यथाशक्ति जप करें।

3. हिंदी में पाठ: यदि संस्कृत में नहीं कर पा रहे हैं तो हिंदी में पढ़ें।


दुर्गा सप्तशती का पाठ न केवल भक्तों को आध्यात्मिक दृष्टि से जोड़ता है, बल्कि जीवन की

कठिनाइयों से भी राहत देता है। सही विधि और श्रद्धा के साथ किया गया यह पाठ भक्तों

को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करता है।

यदि आप नवरात्रि के दौरान या किसी विशेष अवसर पर दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं, तो

इसका फल निश्चित रूप से लाभकारी होगा।


यदि आप भी अपने जीवन में समस्याओं से त्रस्त है तो इस शारदीय नवरात्री में दुर्गा शप्तशती का

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मातारानी सदैव आपका कल्याण करें |दुर्गा सप्तशती का पाठ देवी दुर्गा की शक्ति और उपासना का वर्णन करते हुए भक्तों के लिए विशेष रूप से शुभ और फलदायी माना गया है।

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