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नवरात्रि के छठे दिन: माँ कात्यायनी की उपासना और ज्योतिषीय महत्व :

नवरात्रि के छठे दिन, माँ दुर्गा के छठे स्वरूप, माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। माँ

कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत मनमोहक और दिव्य है। उनके भक्तिपूर्ण स्वरूप और

शक्तिशाली उपस्थिति के कारण, उनकी पूजा विशेष रूप से महत्व रखती है। आज हम माँ

कात्यायनी की पूजा विधि, पौराणिक कथा, और ज्योतिषीय महत्व पर चर्चा करेंगे।

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माँ कात्यायनी का दिव्य स्वरूप :

माँ कात्यायनी की चार भुजाएं हैं। इनकी एक भुजा अभय मुद्रा में है, दूसरी वरद मुद्रा में है,

और अन्य दो भुजाओं में तलवार और कमल का फूल है। उनका यह रूप भक्तों को सुरक्षा

और आशीर्वाद प्रदान करता है। माँ कात्यायनी को बिहार में छठी मैया के रूप में पूजा जाता

है, और उनका यह स्वरूप विशेष रूप से दिव्य और सौंदर्यपूर्ण माना जाता है।

पौराणिक कथा :

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि कात्यायन, जिनका गोत्र कात्य था, के पास कोई संतान

नहीं थी। उन्होंने देवी पराम्बा की घोर तपस्या की और प्रार्थना की कि देवी उन्हें पुत्री रूप में

संतान प्रदान करें। देवी उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उनके घर पुत्री रूप में जन्मीं, और

इस प्रकार माँ कात्यायनी का जन्म हुआ।

माँ कात्यायनी ने अपनी शक्तियों से कई राक्षसों का वध किया, और महिषासुर नामक दानव

को भी पराजित किया। इस प्रकार, उन्होंने त्रिलोका को महिषासुर के अत्याचार से मुक्ति

दिलाई और एक नई उम्मीद का संचार किया।

पूजा विधि और महत्व :

1. सुबह की तैयारी: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनें।

2. मूर्ति का अभिषेक: माता की मूर्ति का गंगाजल से अभिषेक करें।

3. अर्पण: माता को फूल, फल, अक्षत, कुमकुम अर्पित करें और ज्योत जलाएं।

4. शहद का प्रयोग: पूजा में शहद का प्रयोग करें, जो माँ कात्यायनी को अत्यंत प्रिय है।

5. पाठ और आरती: दुर्गा चालीसा का पाठ करें और आरती करके माता को भोग अर्पित

करें।


यदि संभव हो, तो किसी विद्वान पंडित से माँ की स्थापना एवं पूजन करवाना चाहिए। संपूर्ण

विधि-विधान से नवरात्रि की स्थापना और पूजन के लिए आप हमारी वेबसाइट

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कॉल कर सकते हैं।


ज्योतिषीय महत्व :

माँ कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और एक अद्भुत

शक्ति का संचार होता है। ज्योतिष के अनुसार, माँ कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित

करती हैं। बृहस्पति ग्रह का सकारात्मक प्रभाव जीवन में समृद्धि, बुद्धि, और ज्ञान लाता है।


माँ की पूजा से बृहस्पति के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार

होता है।

इसके अलावा, माँ कात्यायनी की उपासना से कुवारी कन्याओं को सुयोग्य वर प्राप्त होता है।

यह भी मान्यता है कि माता की भक्ति से पिछले जन्म के पाप मिट जाते हैं और परिवार में

स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है। लंबे समय से बीमार व्यक्ति भी ठीक हो सकते हैं।

स्तुति और मंत्र

मंत्र:

-क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।

-चंद्र हासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि।।

-या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

स्तुति:

कात्यायनौमुख पातु कां स्वाहास्वरूपिणी।

ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी॥

कल्याणी हृदयम् पातु जया भगमालिनी॥


नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और

शक्ति का अनुभव होता है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ है जो संतान

प्राप्ति, स्वास्थ्य, और समृद्धि की कामना करते हैं। सही विधि-विधान से पूजा करके आप माँ

कात्यायनी से विशेष आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

जय माँ कात्यायनी!

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