पितृ पक्ष: पितरों के श्राद्ध और तर्पण से प्राप्त करें सम्पन्नता और वंश-वृद्धि का आशीर्वाद
- Bhavika Rajguru

- Sep 11, 2024
- 3 min read
पितृ पक्ष क्या है?
पितृ पक्ष हिंदू पंचांग के अनुसार एक विशेष अवधि है, जिसमें पितरों को श्रद्धांजलि दी जाती है। यह अवधि
भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होती है और आश्विन माह की अमावस्या तक चलती है। इस बार पितृ पक्ष की शुरुआत
17 सितंबर, 2024 से होगी और इसका समापन 2 अक्टूबर, 2024 को होगा। कुल मिलाकर यह 16 दिनों की अवधि होती है, हालांकि तिथियों के आधार पर यह कुछ दिन कम या ज्यादा हो सकती है।
पितर कौन होते हैं?
पितर या पितृ उन पूर्वजों को कहते हैं जो हमारे रक्त संबंधी हैं और जिन्होंने इस जीवन को छोड़ दिया है।
इनमें शामिल होते हैं:
माता-पिता, पितामह-पितामही, पितामह-पितामही ,प्रपितामह-प्रपितामही ,मातामह-मातामही ,प्रमातामह-
प्रमातामही ,चाचा-चाची ,भाई, भतीजा ,बुआ, बहन-बेटी ,मामा (मातुल)आदि |
इसके अतिरिक्त, वे सभी लोग जो आपके रक्त-संबंध के 7 पीढ़ियों तक हैं और जीवित नहीं हैं, वे भी पितृ की
श्रेणी में आते हैं।
पितृ तर्पण से लाभ:- पितृ तर्पण और श्राद्ध करने से कई लाभ होते हैं:
1. विधि अनुसार पितरों का तर्पण: यह माना जाता है कि पितरों को तृप्त करने से वे अपने वंशज को
आशीर्वाद देते हैं। यह आशीर्वाद वंशवृद्धि, धन, अन्न, और संपन्नता के रूप में मिल सकता है।
2. ऋण से मुक्ति: नियमित तर्पण और श्राद्ध से व्यक्ति को अपने जीवन की समस्याओं से राहत मिलती
है और ऋण से मुक्ति प्राप्त होती है।
3. धन-संपन्नता: तर्पण और श्राद्ध से घर में धन और संपत्ति की वृद्धि होती है।
स्वयं पितृ तर्पण कैसे करें?
यदि आप तर्पण करने के लिए नदी, तालाब या कर्मकांडी ब्राह्मण की सुविधा नहीं पा रहे हैं, तो घर पर भी
तर्पण कर सकते हैं। इसके लिए:
जल का प्रयोग: तांबे, पीतल, या कांसे के पात्र में गंगा जल या स्वच्छ जल भरें। नाम और गोत्र का उच्चारण करते हुए मंत्रोचार के साथ तर्पण करें।
सामग्री: कुशा, जौ, तिल, चंदन, सफेद पुष्प, गंध, और अक्षत का प्रयोग करें।
अर्थ:कुशा का प्रयोग देव,ऋषि,पितृ तीनों तर्पण में करें-
कुशा: देवताओं को प्रसन्न करता है।
जौ: ऋषि गणों को प्रसन्न करता है।
तिल: यमराज और पितरों को प्रसन्न करता है।
पितृ पक्ष के दिनों में क्या करें?
1. ब्राह्मणों का भोजन कराएं: अपने पूज्य ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उनका सत्कार करें।
2. पूर्वजों की पूजा: पूर्वजों के श्राद्ध-तर्पण उनके निर्वाण तिथि पर करें।
3. नवमी तिथि: सौभाग्यवती स्त्रियों और माताओं का श्राद्ध नवमी तिथि को करें।
4. अमावस्या: जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं है, उनका श्राद्ध अमावस्या को करें।
5. दान और सम्मान: ब्राह्मणों को दान और सम्मान देकर तर्पण करें और काक, गौ, श्वान को भोजन दें।
पितृ पक्ष में क्या नहीं करें?
1. अनैतिक कार्य: पितृ पक्ष में अनैतिक कार्यों से बचें, जैसे झगड़ा, चोरी आदि।
2. मांस, मदिरा: लहसून, प्याज, मांस और मदिरा का सेवन न करें।
3. जीवहत्या: किसी भी जीव-जंतु की हत्या न करें।
4. बाल और नाखून: पितृ पक्ष के दिनों में बाल और नाखून न काटें।
5. सदाचार का पालन: ब्रह्मचर्य और सदाचार का उल्लंघन न करें।
इन नियमों और विधियों का पालन करके पितृ पक्ष की अवधि को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाएं, जिससे
आपके पूर्वज प्रसन्न हों और आपके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आए।
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