भाई दूज 2025: तिथि, महत्व और विशेष उपाय :
- Bhavika Rajguru

- Oct 19
- 4 min read
भाई दूज कब है?
इस साल द्वितीया तिथि की शुरुआत 22 अक्टूबर 2025, को रात 08 बजकर 16 मिनट पर होगी। इसके साथ ही इसका समापन 23 अक्टूबर 2025, को रात 10 बजकर 46 मिनट पर होगा। ऐसे में 23 अक्टूबर को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा। वहीं, इस दिन तिलक करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 13 मिनट से 03 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। इस दौरान बहनें अपने भाई का तिलक कर सकती हैं।

भाई दूज का शुभ मुहूर्त:
ब्रह्म मुहूर्त: 04:49 AM से 05:42 AM
अभिजीत मुहूर्त: 11:39 AM से 12:23 PM
अमृत काल: 08:45 PM से 10:30 PM
विजय मुहूर्त: 01:50 PM से 02:34 PM
तिलक लगाने का शुभ समय: 01:06 PM से 03:17 PM
भाई दूज के दिन तिलक लगाने के लिए 2 घंटे 11 मिनट का शुभ मुहूर्त है, इस समय में भाई अपनी बहन
के घर पहुंच सकते हैं।
शुभ योग:
इस बार भाई दूज पर दो शुभ योग बन रहे हैं:
1. सौभाग्य योग: प्रातः से 11:40 बजे तक
2. शोभन योग: 3 नवम्बर को पूर्ण समय में
इन शुभ योगों के दौरान भाई दूज का त्योहार मनाना विशेष फलदायी माना जाता है।
भाई दूज का महत्व:
भाई दूज को यम द्वितीया कहा जाता है, जो यमराज और उनकी बहन यमुना के मिलन का प्रतीक है।
यमुना ने यमराज से शिकायत की थी कि वे उनके घर नहीं आते। इस पर यमराज ने कार्तिक शुक्ल
द्वितीया को यमुना के घर जाकर उनका आदर-सत्कार किया। उन्होंने यमुना को वरदान दिया कि जो भाई
इस दिन अपनी बहन के घर जाएगा, उसे यम का भय नहीं होगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र
और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने और आपसी प्रेम को बढ़ावा देने का अवसर है।
इस दिन का महत्व केवल पारिवारिक बंधन को ही नहीं, बल्कि सामाजिक संबंधों को भी मजबूती प्रदान
करता है।
भाई दूज के दिन भाई को तिलक करने की विधि :
भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। इस दिन भाई को तिलक करना विशेष
महत्व रखता है। यहां बताया गया है कि कैसे आपको भाई को तिलक करना चाहिए:
तैयारी :
1. स्नान और वस्त्र:
सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ, नए वस्त्र पहनें।
2. तिलक की थाली तैयार करें:
थाली में निम्नलिखित सामग्री रखें:
o फल, फूल, मिठाई, कुमकुम, चंदन, रोली, सुपारी, काले चने, बताशे, सूखा नारियल
तिलक करने की विधि :
1. साफ-सुथरी जगह पर भाई को बिठाएं:
एक साफ स्थान पर लकड़ी की चौकी या पाटे पर भाई को बैठाएं ।
2. तिलक का शुभ मुहूर्त:
शुभ मुहूर्त में भाई का तिलक करें। भाई का मुँह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर करें।
3. मंत्र का उच्चारण:
तिलक करते समय निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें:
“गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को।
सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे,
मेरे भाई आप बढ़ें, फूले-फलें।”
4. भाई को मिठाई खिलाएं:
तिलक के बाद भाई को मिठाई खिलाएं और उन्हें फूल, पान, सुपारी, बताशे,नारियल और काले चने दें।
5. आरती करें:
अंत में भाई की आरती उतारें।
उपहार और आशीर्वाद
तिलक के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार दें और प्रणाम करके उनका आशीर्वाद लें।
इस दिन भाई-बहन एक-दूसरे से प्रेम से बात करें और विवाद करने से बचें। तामसिक चीजों से भी परहेज करें।
बहनें भाई को तिलक करने से पहले भोजन न ग्रहण करें।
इस दिन भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत करने का प्रयास करें।
इस तरह से भाई दूज के दिन भाई को तिलक कर आप इस पावन त्योहार को मनाएं और अपने रिश्ते को
और मधुर बनाएं।
भाई दूज के उपाय :
भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने का एक विशेष अवसर है। इस दिन कुछ उपाय
किए जाने से संबंधों में और अधिक मिठास आ सकती है। यहां कुछ महत्वपूर्ण उपाय दिए गए हैं:
1. भाई को पान खिलाएं :
उपाय: भाई दूज पर बहनें अपने भाई को अपने घर बुलाएं या उनके घर जाकर उन्हें भोजन कराएं और तिलक लगाएं। इसके बाद उन्हें पान भेंट करें।
मान्यता: इस दिन भाई को पान भेंट करने से बहनों का सौभाग्य अखंड रहता है और उनका घर हमेशा
खुशियों से भरा रहता है।
2. दीपदान करें :
उपाय: भाई दूज की शाम को घर के बाहर यमराज के लिए चौमुखी दीपक जलाएं।
मान्यता: यह माना जाता है कि इस उपाय से यमराज प्रसन्न होते हैं और भाई को लंबी उम्र प्रदान करते हैं।
इससे बहन को यमराज का आशीर्वाद भी मिलता है।
3. यमुना में स्नान करें :
उपाय: भाई दूज के दिन जो भाई-बहन यमुनाजी में स्नान करते हैं, वे यमराज की यातनाओं से सुरक्षित रहते हैं।
मान्यता: इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना की पूजा अवश्य करें। इससे भाई-बहन के
रिश्ते में स्थिरता और सुरक्षा बनी रहती है।
इन उपायों को अपनाकर आप भाई दूज के इस खास दिन को और भी विशेष बना सकते हैं और अपने
रिश्तों को मजबूत कर सकते हैं।
भाई दूज पर ध्यान रखें :
भाई दूज पर भाई-बहन को पूजा का पूरा फल मिले, इसके लिए कुछ कार्यों को करने से बचना चाहिए:
तिलक से पहले अन्न का सेवन: बहन व भाई को तिलक करने से पहले अन्न का सेवन नहीं करना
चाहिए। इसे सामान्य शब्दों में कहें तो, जब तक तिलक नहीं होता, तब तक उपवास करना चाहिए।
दिशा का चुनाव: भाई के तिलक के लिए किसी भी दिशा का चुनाव न करें। भाई का मुख उत्तर या
उत्तर-पश्चिम में और बहन का मुंह उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में होना चाहिए।
झूठ बोलने से बचें: भाई को बहन से झूठ बोलने से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से धर्मराज
नाराज़ हो सकते हैं।
भोजन का स्थान: भाई को अपने घर भोजन करने से बचना चाहिए। यदि बहन विवाहित है, तो उसे
बहन के घर जाकर भोजन करना चाहिए। अगर संभव न हो, तो गाय के निकट बैठकर भोजन करें।
मांसाहार और नशीले पदार्थों से परहेज़: भाई दूज के त्योहार पर मांसाहार और नशीले पदार्थों के सेवन
से बचना चाहिए।
इन बातों का ध्यान रखने से भाई दूज का पर्व और भी फलदायी और शुभ रहेगा।




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