लाल-किताब ज्योतिष और नशे की प्रवृत्ति: ग्रह स्थिति, योग और उनके प्रभाव :
- Bhavika Rajguru

- Oct 19, 2024
- 9 min read
Updated: Oct 22, 2024
नशे की लत एक गंभीर समस्या है, जो व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। ज्योतिष के अनुसार, नशे की लत के पीछे ग्रहों और कुंडली का भी बड़ा हाथ होता है। इस ब्लॉग में हम नशे की लत के कारण, प्रभाव और उनके ज्योतिषीय उपचार के उपायों पर चर्चा करेंगे।
कुंडली में नशे की प्रवृत्ति के संकेत :
1. चंद्रमा की स्थिति और प्रभाव :
चंद्रमा नशे की प्रवृत्तियों का प्रमुख कारक माना जाता है। यदि चंद्रमा जन्म कुंडली में कमजोर स्थिति में है या अशुभ ग्रहों से प्रभावित है, तो व्यक्ति नशे का आदी हो सकता है। चंद्रमा मानसिक अस्थिरता का संकेत हो सकता है। विशेषकर, यदि चंद्रमा 8वें या 12वें भाव में है और राहु या केतु के साथ युति में है, तो यह नशे की प्रवृत्ति को बढ़ा सकता है।
2. राहु और केतु का प्रभाव :
राहु और केतु का कुंडली में नकारात्मक प्रभाव नशे की आदत को जन्म दे सकता है। यदि राहु 1, 5, 6, 8, या 12वें भाव में है, तो व्यक्ति नशे का आदी हो सकता है। राहु असीमित इच्छाओं का प्रतीक है और केतु उलझनों और मानसिक अस्थिरता का कारण बन सकता है। राहु के चंद्रमा के साथ संपर्क में आने से नशे की लत का कारण बन सकता है।
3. मंगल का प्रभाव :
मंगल का संबंध गुस्से और तात्कालिक समाधान की तलाश से है। यदि मंगल अशुभ ग्रहों से प्रभावित हो, तो यह जातक को आक्रामक और उत्तेजित बना सकता है। ऐसे में व्यक्ति तनाव और भावनात्मक अस्थिरता से निपटने के लिए मादक पदार्थों का सहारा ले सकता है।
4. शुक्र का प्रभाव :
शुक्र का कमजोर होना व्यक्ति को भोग-विलास में असफलता और मानसिक असंतोष का अनुभव करा सकता है, जिससे वह नशे की ओर आकर्षित हो सकता है। जब शुक्र कमजोर होता है या नकारात्मक ग्रहों के साथ स्थित होता है, तो व्यक्ति अस्थायी सुख की तलाश में नशे का सहारा ले सकता है।
5. शनि का प्रभाव :
शनि की चंद्रमा के साथ स्थिति मानसिक अवसाद और नशे की ओर झुकाव का संकेत देती है। जब शनि चंद्रमा के संपर्क में आता है, तो यह जातक को असहाय और अवांछित महसूस करा सकता है, जिससे चिंता और तनाव बढ़ सकते हैं।
6. बुध ग्रह :
यदि बुध ग्रह नीच, अस्त, या पापग्रस्त है और चौथे भाव में स्थित है, तो यह नशे की लत की संभावना को बढ़ा
सकता है। बुध का कमजोर होना मानसिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है, जिससे व्यक्ति भटकाव और नशे की ओर आकर्षित हो सकता है।
अन्य योग और ग्रह स्थिति :
1. ग्रहण योग :
जब चंद्रमा राहु या केतु के साथ युति में होता है, तो इसे ग्रहण योग कहा जाता है। यह योग व्यक्ति की मानसिक अस्थिरता और भ्रम की स्थिति को जन्म दे सकता है। राहु, जो भ्रम और अनिश्चितता का प्रतीक है, व्यक्ति को अव्यवस्थित भावनाओं की ओर ले जा सकता है। वहीं, केतु आत्म-संकोच और आंतरिक संघर्ष का कारण बन सकता है। इस स्थिति में व्यक्ति को अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना आवश्यक होता है। ज्योतिषी की सलाह और उचित उपायों का पालन करने से व्यक्ति इस समस्या से उबर सकता है।
जब चंद्रमा राहु या केतु के साथ युति में होता है, तो इसे ग्रहण योग कहा जाता है। यह योग व्यक्ति की मानसिक अस्थिरता और भ्रम की स्थिति को जन्म दे सकता है। राहु, जो भ्रम और अनिश्चितता का प्रतीक है, व्यक्ति को अव्यवस्थित भावनाओं की ओर ले जा सकता है। वहीं, केतु आत्म-संकोच और आंतरिक संघर्ष का कारण बन सकता है। इस स्थिति में व्यक्ति को अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना आवश्यक होता है।
ज्योतिषी की सलाह और उचित उपायों का पालन करने से व्यक्ति इस समस्या से उबर सकता है।
2. नीच भंग राजयोग :
नीच भंग राजयोग एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय स्थिति है। जब कुंडली में कोई ग्रह नीच राशि में होता है और उसका नीच भंग नहीं हो रहा है, तो यह व्यक्ति के जीवन में अनेक समस्याएं और संघर्ष उत्पन्न कर सकता है। ऐसे में व्यक्ति मानसिक अस्थिरता का शिकार हो सकता है, जो नशे की आदत की ओर आकर्षित कर सकता है। नीच ग्रह व्यक्ति के व्यक्तित्व, मानसिकता, और व्यवहार पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। यदि व्यक्ति का मनोबल कमजोर होता है, तो वह अपने तनाव और समस्याओं से बचने के लिए नशे का सहारा ले सकता है।
महत्वपूर्ण भाव और उनका प्रभाव :
ज्योतिष में नशे की लत को समझने के लिए कुछ विशेष भावों और ग्रहों का ध्यान रखना आवश्यक है। प्रत्येक भाव व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं से जुड़ा होता है, जो नशे की प्रवृत्ति को प्रभावित कर सकता है:
1. 8वें और 12वें भाव का प्रभाव :
यह भाव गुप्त संबंधों, शराब और नशे की आदतों का संकेत देता है। यदि यहां अशुभ ग्रह स्थित हैं, तो नशे की प्रवृत्ति बढ़ सकती है।8वां भाव गहरे रहस्यों और मृत्यु से संबंधित होता है। यदि इस भाव में राहु या केतु की स्थिति है, तो व्यक्ति नशे की ओर आकर्षित हो सकता है। 12वां भाव हानि, आत्म-विनाश और आपके बिस्तर के सुख का प्रतीक है। द्वादश भाव जीवन में छिपी हुई आदतों और व्यसनों का प्रतीक है। यदि इस भाव में राहु, शनि, या केतु का प्रभाव हो, तो व्यक्ति गुप्त आदतों या नशे की लत का शिकार हो सकता है।
2.सप्तम और अष्टम भाव :
सप्तम भाव में राहु की स्थिति रिश्तों में अस्थिरता उत्पन्न कर सकती है, जिससे व्यक्ति नशे की ओर बढ़ सकता है। अष्टम भाव में राहु या केतु का प्रभाव व्यक्ति को रहस्यमय विषयों की ओर आकर्षित कर सकता है।
3. दूसरा भाव :
यह भाव परिवार, बचपन और खाने की आदतों को दर्शाता है। बचपन में सही खानपान और पारिवारिक वातावरण की कमी नशे की लत को जन्म दे सकती है।
4. पहला भाव :
यह व्यक्ति के समग्र व्यक्तित्व और प्रकृति को इंगित करता है। यदि यहां कोई अशुभ प्रभाव है, तो यह मानसिक अस्थिरता का कारण बन सकता है।
5. तीसरा भाव:
यह हाथों, शौक और विकल्प बनाने की क्षमताओं का संकेत देता है। यदि व्यक्ति के शौक नकारात्मक दिशा में जाते हैं, तो यह नशे की ओर ले जा सकता है।
6. छठा भाव :
यह व्यक्ति की सेहत, रोग और दुश्मनों से संबंधित है। यदि यहां कोई समस्या है, तो यह नशे की आदत को बढ़ावा दे सकता है।
7. चौथा भाव :
यह घर में खुशी और माँ के प्रति भावनाओं को दर्शाता है। घरेलू वातावरण में तनाव या अव्यवस्था नशे की प्रवृत्ति को बढ़ा सकती है।
इन भावों या उनके स्वामी पर नकारात्मक प्रभाव जातक की नशे की लत को दर्शा सकता है।
राशियां और नशे की लत :
कुछ विशेष राशियां, जैसे मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, कन्या, वृश्चिक, भी नशे की लत के संकेत देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन राशियों का संबंध व्यक्ति की मानसिकता, प्रवृत्तियों और भावनाओं से है, जो नशे की लत को प्रभावित कर सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति की राशि में नकारात्मक ग्रहों का प्रभाव है, तो यह नशे की प्रवृत्ति को जन्म दे सकता है।
तुला राशि और शुक्र का प्रभाव :
तुला राशि जीवन में संतुलन का प्रतीक है। यदि यहां कोई अशुभ ग्रह स्थित हो या शुक्र कमजोर हो, तो व्यक्ति नशे की ओर धकेल सकता है। शुक्र की कमजोर स्थिति से सुख-भोग में असफलता हो सकती है।
लाल-किताब ज्योतिष:उपाय और उपचार:
1. लाल किताब के उपाय :
लाल किताब के अनुसार, बुध ग्रह की नीच, अस्त, या पापग्रस्त स्थिति और चौथे भाव में उसकी स्थिति नशे की लत को बढ़ा सकती है। इस समस्या से निपटने के लिए कुछ प्रभावी उपाय सुझाए गए हैं:
-मिट्टी के पात्र में शहद रखकर एकांत स्थान पर जाकर उसे मिट्टी में दबा दें।
-कच्चा घड़ा लेकर उसे नदी में प्रवाहित करें।
-तांबे का सिक्का गले में धारण करें।
नशे की लत से छुटकारा पाने के लिए और भी उपाय किए जा सकते हैं:
-एकमुखी रूद्राक्ष को सोने के साथ गले में धारण करें।
-पुखराज या हल्दी की माला गले में पहनें।
-श्रीसूक्त के 11,000 पाठ करें और नशे से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।
-शुक्रवार और रविवार को देवी की पूजा और व्रत करें।
याद रखें कि लाल किताब के उपाय हमेशा सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच में करने चाहिए। एक दिन में केवल एक ही उपाय करें और अगर किसी उपाय को 43 दिनों तक करना है, तो लगातार करना आवश्यक है; एक भी दिन उपाय छूटना नहीं चाहिए।
2. शिव पूजा:
बेल पत्र नशा छुड़ाने के लिए एक सरल और प्रभावी उपाय माना जाता है।
बेल का साफ और कटा-फटा न हो एक पत्र ले । स्टील के लोटे में जल, थोड़ा गाय का दूध, और शहद मिलाएं इसे सुबह शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर अर्पित करें । फिर बेलपत्र शिवलिंग पर अर्पित कर दे इसके पश्चात भगवान्नी लकंठ से नशा छोड़ने की प्रार्थना करें। लौटते समय शिवलिंग से बहते जल को पिएं और चढ़ाये हुए बेल के पत्ते को भी खाएं। यह प्रक्रिया नियमित रूप से हर सोमवार को करें।
इस प्रक्रिया को नियमित रूप से हर सोमवार को करें। विश्वास और समर्पण से यह उपाय आपके जीवन में
सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। थोड़ी मेहनत और समय देने से आप न केवल नशे से छुटकारा पा सकते हैं, बल्कि अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से भी राहत मिल सकती है।
3. हनुमान प्रयोग :
यह एक बेहद कारगर और अनुभूत प्रयोग है, जिसमें केवल इच्छा शक्ति और थोड़ी मेहनत की जरूरत होती है। सबसे पहले, शराब पीने वाले व्यक्ति के लिए एक सवा आठ रत्ती का मूंगा खरीदें। मंगलवार के दिन भोजपत्र पर अनार की कलम से अष्टगंध से एक हनुमान यंत्र बनाएं। इसे एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर ताम्बे की प्लेट में स्थापित करें। मूंगे को गंगा जल या स्वच्छ जल से धोकर यंत्र के मध्य में रखें। तिल के तेल का दीपक जलाएं और गुग्गुल या चमेली की धूप जलाकर रखें। फिर एक ही बैठक में हनुमान चालीसा के 54 पाठ करें, उसके बाद सुंदरकांड का पाठ करें, और पुनः हनुमान चालीसा के 54 पाठ करें। अंत में आरती करें और बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं। मूंगा शराब पीने वाले की अनामिका उंगली में पहनाएं और यंत्र को ताम्बे के ताबीज़ में भरकर गले में पहनने के लिए दें। हनुमान जी की कृपा से तीन महीने में शराब की लत छूट सकती है।
4. ग्रहदान :
शराब या नशा मुक्ति हेतु ज्योतिष अनुसार एक विशेष ग्रहदान का प्रयोग किया जाता है। यह उपाय उन ग्रहों से
संबंधित है जो नशे की प्रवृत्ति को प्रभावित करते हैं। इस प्रयोग को शुक्ल और कृष्ण पक्ष में केवल एक बार करना होता है, यानी माह में दो बार। यदि इसे 14 मंगल या शनिवार को किया जाए, तो व्यक्ति धीरे-धीरे पीना छोड़ सकता है।
उपाय का तरीका इस प्रकार है:
एक साफ स्थान पर एक सवा मीटर काला कपड़ा बिछाएं, फिर इसके ऊपर एक सवा मीटर नीला कपड़ा बिछाएं उसमे सवा मुट्ठी काली उड़द, सवा मुट्ठी मसूर, सवा मुट्ठी चावल, सवा मुट्ठी मूंग, 7 लोहे की कीलें, 1 पाव गुड़, 1 जटा वाला नारियल, 5 या 10 का सिक्का (दक्षिणा के रूप में)रखकर पोटली बनाकर शराबी व्यक्ति का हाथ लगवा कर उसके सिर पर से 21 बार उल्टा उतारें, यानी घड़ी की सुई की उल्टी दिशा में फिर इस सामग्री को किसी शिव मंदिर में रखकर या बहते पानी में प्रवाहित करके व्यक्ति की शराब छूटने की प्रार्थना करें। इस प्रक्रिया को 14 बार करने से आपको फल मिलने की संभावना है। इसे विश्वास और श्रद्धा के साथ करें।
5. जंगली कौवे के पंख का उपाय :
जंगली कौवे के पंख को पानी में हिलाकर शराबी को पिलाने से भी शराबी शराब छोड़ सकता है।
6. भैरव बाबा का उपाय :
किसी भी रविवार को शराब मुक्ति के लिए एक प्रभावी उपाय है।
इसके लिये उस ब्रांड की शराब की बोतल लाएं जिसका आपके पति (या अन्य परिजन) सेवन करते हैं। रविवार को इस बोतल को अपने निकट के किसी भैरव बाबा के मंदिर में चढ़ाएं। पुजारी को कुछ रुपए देकर बोतल को वापस खरीद लें। पति के सोते समय या जब वह नशे में हों, उस पूरी बोतल को उनके ऊपर 21 बार उसारते हुए ॐ नमः भैरवाय मंत्र का जाप करें फिर उस बोतल को शाम को किसी पीपल के पेड़ के नीचे छोड़ आएं।
इस उपाय से कुछ ही दिनों में शराबी की शराब पूरी तरह से छूट सकती है। इसे विश्वास और श्रद्धा के साथ करें।
7.शराब नशे से बाहर निकलने के उपाय :
शराब मुक्ति के लिए यह एक सरल और प्रभावी उपाय है।
इसके लिये आपको करना क्या है-
एक शराब की बोतल खरीदें और शराब के लती परिजन को सोते समय उन पर से 21 बार उसारें। यह क्रिया करते समय मन में सकारात्मक सोच रखें। एक अन्य बोतल में 800 ग्राम सरसों का तेल लें। दोनों बोतलों की सामग्री को आपस में मिला दें और ढक्कन बंद कर दें फिर दोनों बोतलों को किसी ऐसे स्थान पर उल्टा गाड़ दें, जहां से पानी लगातार बहता हो।
इस उपाय को करने के कुछ ही दिनों में व्यक्ति को शराब से घृणा हो जाती है। इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ करें।
ज्योतिष और सही मार्गदर्शन से नशे की लत से बाहर निकलने के कई उपाय हैं। जातक को उनकी कुंडली के अनुसार उचित सलाह लेना चाहिए। इसके लिये हमारी वेब-साईट www.rajguruastroscience.com या फ़ोन नं.9256699947 पर संपर्क कर सकते हैं।
नशे से बचने के लिए सुझाव :
योग और ध्यान: यह मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।
परिवार और दोस्तों का सहयोग: यह व्यक्ति को मानसिक एवं सामाजिक रूप से सशक्त बनाता है।
प्रोफेशनल काउंसलिंग: अनुभवी चिकित्सकों से सलाह लें।
नशे की लत से मुक्ति के लिए मानसिक स्थिरता, दृढ़ संकल्प और ज्योतिषीय उपायों का पालन करना आवश्यक है। यदि आप किसी भी उपाय को अपनाने का विचार कर रहे हैं, तो इसे नियमितता के साथ करें और पूर्ण विश्वास रखें। इससे न केवल नशे की लत से मुक्ति मिलेगी, बल्कि आपकी सेहत में भी सुधार होगा।



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