शरद पूर्णिमा: महत्व,पूजा विधि और विशेष उपाय :
- Bhavika Rajguru

- Oct 12, 2024
- 4 min read
शरद पूर्णिमा का महत्व :
हिंदू धर्म में पूर्णिमा व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत हर माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को
रखा जाता है। विशेषकर, आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर 2024 को रात्रि
08:45 पर शुरू होगी और 17 अक्टूबर को शाम 4:50 पर समाप्त होगी। इस दिन भगवान विष्णु और
माता लक्ष्मी की उपासना का विशेष विधान है।
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा सभी 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है, जिससे पूजा का महत्व और बढ़
जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन तीर्थ स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और
मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा 2024 और उसके विशेष योग :
इस वर्ष शरद पूर्णिमा पर विशेष महत्व रखने वाले योग बन रहे हैं:
रवि योग: सुबह 6:23 मिनट से शाम 7:18 मिनट तक।
ध्रुव योग: प्रात:काल से लेकर सुबह 10:10 बजे तक।
व्याघात योग: ध्रुव योग के बाद।
उत्तर भाद्रपद नक्षत्र: शाम 7:18 बजे तक, फिर रेवती नक्षत्र।
पंचक: पूरे दिन रहेगा।
इन विशेष योगों के प्रभाव से पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है, जिससे भक्तगण अपने धार्मिक
कार्यों को श्रद्धा और आस्था के साथ संपन्न कर सकते हैं।
शरद पूर्णिमा की पूजाविधि :
शरद पूर्णिमा के दिन पूजा विधि का पालन करना विशेष महत्व रखता है। यहां प्रस्तुत है इसकी
संपूर्ण विधि:
स्नान और तैयारी: सुबह उठकर नहाएं और अपने घर के मंदिर को साफ करें।
मूर्ति स्थापना: लाल या पीले कपड़े को लकड़ी की चौकी पर बिछाएं और उस पर माता लक्ष्मी और
भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें।
दीपक और धूप: भगवान की मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाएं और धूप दिखाएं।
तिलक और भोग: गंगाजल से स्नान करवाकर अक्षत और रोली से तिलक लगाएं। सफेद मिठाई या
खीर का भोग लगाएं और लाल या पीले फूल चढ़ाएं।
दीयों की ज्योति: शाम के समय चंद्रमा निकलने पर मिट्टी के 100 दीए गाय के शुद्ध घी से जलाएं।
खीर की पूजा: खीर को मिट्टी के बर्तन में भरकर छलनी से ढककर चांद की रोशनी में रखें।
जागरण और पाठ: पूरी रात जागते हुए विष्णु सहस्त्रनाम, श्रीसूक्त, श्रीकृष्ण मधुराष्टकम् और
कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। पूजा की शुरुआत भगवान गणेश की आरती से करें।
प्रसाद वितरण: अगली सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके उस खीर को मां लक्ष्मी को अर्पित करें और
फिर प्रसाद के रूप में परिवार में बांट दें।
शरद पूर्णिमा की रात खीर रखने का महत्व :
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है और उस
रात अमृत की वर्षा होती है। इस रात खीर चंद्रमा की किरणों से औषधीय गुणों को अवशोषित करती
है, जिससे सेहत में सुधार होता है।
लाल-किताब ज्योतिष और शरद पूर्णिमा: चंद्रमा के प्रतिकूल प्रभाव का निवारण :
लाल-किताब ज्योतिष में चंद्रमा का महत्व बहुत अधिक है, और जन्म-कुंडली में यदि चंद्रमा का
प्रतिकूल प्रभाव हो, तो इससे व्यक्ति के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में शरद
पूर्णिमा का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, जब चंद्रमा सभी 16 कलाओं से युक्त होता है।
चंद्रोदय का समय: शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा का उदय होते समय अर्घ्य देना अत्यंत लाभकारी
होता है। चंद्रोदय का समय बहुत ही शुभ माना जाता है, इसलिए इस समय का ध्यान रखें।
सामग्री: कच्चा दूध ,चीनी ,चावल
जप और अर्घ्य: सबसे पहले एक चांदी के बर्तन में कच्चा दूध, चीनी और चावल मिलाएं।
चंद्रोदय के समय इस मिश्रण को लेकर चंद्रमा की ओर मुंह करके खड़े हों।
इस समय ॐ ऐं क्लीं सोमाय नमः का जप करते रहें। यह मंत्र चंद्रमा की कृपा को आकर्षित करने में मदद करता है।
अर्घ्य देना: जप करते हुए इस मिश्रण को चंद्रमा की ओर अर्पित करें। यह आपके जीवन में चंद्रमा के सकारात्मक प्रभाव को स्थापित करने में सहायक होगा।
नियमितता: यदि संभव हो, तो इस उपाय को नियमित रूप से प्रत्येक पूर्णिमा पर करने का प्रयास करें,
खासकर जब चंद्रमा का प्रभाव प्रतिकूल हो।
इस प्रकार, शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से न केवल चंद्रमा के प्रतिकूल प्रभाव का
निवारण किया जा सकता है, बल्कि आपके जीवन में सुख-समृद्धि और मानसिक शांति भी प्राप्त हो
सकती है।
विशेष उपाय :
शरद पूर्णिमा के दिन कुछ विशेष उपाय करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, स्वास्थ्य और समृद्धि
में सुधार हो सकता है। यहां कुछ महत्वपूर्ण उपाय दिए गए हैं:
पैसों की तंगी के लिए :
आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी की पूजा करें। इस दिन 5
कौड़ियां मां के चरणों में चढ़ाएं। अगली सुबह इन कौड़ियों को लाल या पीले रंग के कपड़े में लपेटकर
अपनी तिजोरी में रख लें। इससे धन की कमी दूर होने की संभावना बढ़ जाती है।
निरोगी रहने के लिए :
यदि घर का कोई सदस्य बीमार रहता है, तो शरद पूर्णिमा की रात को छत पर खीर रखें। दूसरे दिन
उस खीर का सेवन रोगी को कराएं। इससे स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।
बिजनेस और नौकरी में मुनाफा के लिए :
बिजनेस में बढ़ोतरी और नौकरी में प्रमोशन के लिए, शरद पूर्णिमा के दिन हनुमान जी के सामने
चौमुखी दीपक जलाएं। इससे कार्य में सफलता और धन का आगमन होता है।
तुलसी पूजा :
शरद पूर्णिमा के दिन स्नान करने के बाद तुलसी की पूजा करें। शाम को तुलसी के पौधे के पास
दीपक जलाएं। यह उपाय सुख-समृद्धि में वृद्धि लाता है।
सफेद भोग :
मां तुलसी को सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं। इससे मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा
प्राप्त होती है और घर में शांति बनी रहती है।
मां लक्ष्मी को भोग :
इस दिन मां लक्ष्मी को सिंघाड़ा, दही, मखाना, बताशा और पान का भोग लगाएं। ऐसा करने से मां
लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है।
आंखों के लिए त्राटक क्रिया :
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रोशनी से अमृत बरसता है। इस दिन त्राटक क्रिया (जो आंखों के
लिए फायदेमंद है) जरूर करें। यह आंखों की रोशनी को बढ़ाने में सहायक होती है।
इन उपायों को अपनाकर शरद पूर्णिमा का पर्व मनाना न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि
यह जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में भी मदद करता है।
सावधानियाँ -
मांस या शराब का सेवन न करें।
काले कपड़े पहनने से बचें।
घर में लड़ाई-झगड़े से बचें।
शरद पूर्णिमा का व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन में सुख, शांति और
समृद्धि लाने का भी साधन है। इस दिन की गई पूजा और उपायों से भक्तों को मानसिक शांति और
आध्यात्मिक बल की प्राप्ति होती है। आइए, इस शरद पूर्णिमा पर हम सभी मिलकर माता लक्ष्मी और
भगवान विष्णु की आराधना करें और अपने जीवन में सुख-समृद्धि लाएं।






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