सर्वपितृ अमावस्या 2025 : पितरों की तृप्ति और श्राद्ध का महापर्व :
- Bhavika Rajguru

- Sep 11
- 2 min read
✍️ पुष्कर की लाल किताब ज्योतिर्विद – भाविका राजगुरु
📅 सर्वपितृ अमावस्या 2025 की तिथि और मुहूर्त :
हिन्दू पंचांग के अनुसार अश्विन माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का आरंभ 20 सितंबर 2025, शनिवार को रात 12:16 बजे होगा और इसका समापन 21 सितंबर 2025, रविवार को रात 01:23 बजे होगा।उदयातिथि के अनुसार, 21 सितंबर 2025, रविवार को सर्वपितृ अमावस्या मनाई जाएगी।

🙏 सर्वपितृ अमावस्या का महत्व :
पुष्कर की लाल किताब ज्योतिर्विद भाविका राजगुरु के अनुसार अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या या पितृ विसर्जन अमावस्या कहा जाता है। यह दिन पितरों के प्रति कृतज्ञता, श्रद्धा और स्मरण का विशेष अवसर है।
स्कंदपुराण में इस तिथि का महात्म्य विस्तार से वर्णित है।
यह दिन पितरों को पितृ लोक हेतु विदा करने का अंतिम अवसर माना जाता है।
श्राद्ध, तर्पण और दान से पितर तृप्त होकर अपने वंशजों को सुख, समृद्धि और आरोग्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
🔮 पितरों की तृप्ति का रहस्य :
श्राद्ध के माध्यम से अग्निष्वात्त और बर्हिषद् जैसे दिव्य पितर भी संतुष्ट होते हैं।
यदि संतान अपने पितरों का श्राद्ध न करे तो वे भूख-प्यास से व्याकुल रहते हैं।
श्रेष्ठ ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना पितरों की आत्मा को शांति और संतोष प्रदान करता है।
🌊 गयाजी और पुष्कर का विशेष महत्व :
गयाजी, ब्रह्म पुष्कर और सुधावाय (गया कुण्ड) में किया गया श्राद्ध सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने सुधावाय (गया कुण्ड) में अपने पिता दशरथ जी का श्राद्ध किया था। जिसका वर्णन पद्म-पुराण में मिलता है |
पुष्कर से मात्र 4 किलोमीटर दूर स्थित सुधावाय गया कुण्ड में श्राद्ध करने से पितरों की सदैव के लिए तृप्ति होती है।
🕉️ श्राद्ध की शास्त्रीय विधि :
संकल्प – दक्षिणाभिमुख खड़े होकर श्राद्ध का संकल्प करें।
संकल्प मंत्र:“पूर्वोच्चारित संकल्पसिद्ध्यर्थ महालय श्राद्धे यथा संख्यकान ब्राह्मणान भोजयिष्ठे।”
प्रार्थना मंत्र –“ॐ गोत्रं नो वर्धना दातारं नोऽभिवर्धताम्।”
ब्राह्मण भोजन – योग्य ब्राह्मणों को श्रद्धापूर्वक भोजन कराएं।
बलियों का दान –
🐄 गो-बलि – “ॐ सौरभेय्य: सर्वहिता:” मंत्र से।
🐕 श्वान-बलि – “द्वौ श्वानौ श्याम शबलौ” मंत्र से।
🐦 काक-बलि – “ॐ ऐद्रेवारुण वायण्या” मंत्र से।
🐜 देव-बलि – चींटियों व अन्य प्राणियों के लिए अन्न दान।
अंत में जल तर्पण कर पितरों को संतुष्टि दें।
🔱 पितृऋण से मुक्ति और आशीर्वाद का उपाय :
सर्वपितृ अमावस्या को श्राद्ध और तर्पण करने से पितृदोष के प्रभाव कम होते हैं।
संध्या समय महिलाएं घर के द्वार पर दीपक जलाकर पूड़ी व मिष्ठान्न रखती हैं। यह प्रतीक है कि पितर भूखे न लौटें और उनका मार्ग आलोकित हो।
जिन लोगों को अपने पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है, उनके लिए यह दिन विशेष रूप से आवश्यक है।
🌺 निष्कर्ष :
सर्वपितृ अमावस्या केवल एक कर्मकांड नहीं बल्कि हमारे और हमारे पितरों के बीच आध्यात्मिक सेतु है। जब हम श्राद्ध और तर्पण करते हैं, तो हम न केवल अपने पूर्वजों का सम्मान करते हैं बल्कि अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि को भी आमंत्रित करते हैं।
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🕉️ महादेव सदा आपके पथ को आलोकित करें और पितरों का आशीर्वाद सदा बना रहे।


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