🌕 सिर्फ पुष्कर में ही क्यों होती है ब्रह्मा जी की पूजा? रहस्य, पुराण और ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष विश्लेषण :
- Bhavika Rajguru

- Oct 9
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✍️ पुष्कर की लाल-किताब ज्योतिर्विद – भाविका राजगुरु
हिंदू धर्म में ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचयिता कहा गया है — वे त्रिदेवों में प्रथम हैं — ब्रह्मा (सृष्टि), विष्णु (पालन) और महेश (संहार)।फिर भी यह सबसे रहस्यमय तथ्य है कि पूरी पृथ्वी पर ब्रह्मा जी की पूजा केवल एक ही स्थान – पुष्कर (राजस्थान) में ही क्यों होती है?

🔱 पद्म पुराण की कथा – सावित्री और गायत्री का यज्ञ प्रसंग :
पद्म पुराण के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी ने पृथ्वी पर यज्ञ करने का निश्चय किया। उन्होंने अपनी पत्नी देवी सावित्री से कहा कि वे यज्ञ में उनके साथ सम्मिलित हों।सावित्री जी ने थोड़ी प्रतीक्षा करने का आग्रह किया, परंतु ब्रह्मा जी ने शुभ मुहूर्त निकलता देखकर वहीं एक ग्वालन से गायत्री रूप में विवाह कर लिया और यज्ञ आरंभ कर दिया।
जब सावित्री जी पहुँचीं और देखा कि यज्ञ में किसी अन्य स्त्री को पत्नी के रूप में बैठाया गया है, तो वे क्रोधित हो गईं और कहा —
"हे ब्रह्मन्! तुमने मेरी अवहेलना की है। अतः मैं तुम्हें शाप देती हूँ कि इस पृथ्वी पर तुम्हारी पूजा किसी स्थान पर नहीं होगी,सिवाय इस पवित्र पुष्कर भूमि के!"
फिर सभी देवताओं ने विनती की, तब सावित्री जी ने कहा —
"पुष्करे ब्रह्मपूजा स्यात् नान्यत्र पृथिवीतले।"(अर्थ: इस पृथ्वी पर केवल पुष्कर में ही ब्रह्मा जी की पूजा संभव होगी।)
इस प्रकार, तभी से केवल पुष्कर तीर्थ में ही ब्रह्मा जी का मंदिर स्थापित हुआ, जो आज भी विश्व का एकमात्र ब्रह्मा मंदिर है।
📜 ब्रह्मवैवर्त पुराण की कथा – नारद और ब्रह्मा का शाप :
एक अन्य कारण ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है।जब ब्रह्मा जी के मानस पुत्र देवर्षि नारद ने सृष्टि कर्म करने से इनकार किया, तो ब्रह्मा जी ने क्रोध में आकर कहा —
"त्वं मम आज्ञा न पालनं कृतवान्।
अतः गन्धर्वयोनि प्राप्स्यसि!"
(तुम मेरी आज्ञा का उल्लंघन कर चुके हो, अतः गंधर्व योनि को प्राप्त होगे।)
नारद जी ने भी उत्तर में कहा —
"हे पिता! आपने मुझे बिना कारण शाप दिया, इसलिए मैं भी आपको शाप देता हूँ —तीन कल्पों तक आपकी पूजा पृथ्वी पर नहीं होगी।"
इसी शाप का परिणाम यह हुआ कि आज ब्रह्मा जी की पूजा केवल पुष्कर में की जाती है।
🌸 पुष्कर का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व :
ज्योतिषाचार्या भाविका राजगुरु के अनुसार —पुष्कर को “तीर्थराज” कहा गया है, क्योंकि यह स्थान तीनों लोकों में सर्वोच्च ऊर्जा केंद्र है।यहाँ ब्रह्म सरोवर के 52 घाट और पाँच पवित्र सरोवर — वराह, पद्म, रुद्र, पुष्कर और बिंदु सरोवर — स्थित हैं।
यहाँ स्नान और ब्रह्मा जी की पूजा करने से व्यक्ति को अष्टलक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है तथा पितृ दोष, कालसर्प दोष और ग्रह पीड़ा दूर होती है।
"पुष्करं तु महापुण्यं ब्रह्मणो यत्र संस्थितः।
तत्र स्नानं च दानं च सर्वपापं विनाशयेत्॥"(पद्म पुराण)
🕉️ पुष्कर जाए बिना अधूरी रहती है चारों धाम की यात्रा :
शास्त्रों में कहा गया है —
"हरिद्वारे गयायां च वाराणस्यां प्रयागके।न पुष्करदर्शनं येषां ते जन्मानि व्यर्थानि च॥"
अर्थात जिसने हरिद्वार, गया, वाराणसी और प्रयागराज के दर्शन किए परंतु पुष्कर नहीं गया — उसकी तीर्थयात्रा अपूर्ण मानी जाती है।
इसलिए कहा गया है कि चार धाम यात्रा तब पूर्ण होती है जब भक्त पुष्कर जाकर ब्रह्मा जी के दर्शन करता है।
🌞 कार्तिक पूर्णिमा स्नान का विशेष महत्व :
कार्तिक मास की पूर्णिमा को पुष्कर का महायोग बनता है।इस दिन स्नान, दान और दीपदान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
"कार्तिके पूर्णिमा पुण्या तत्र स्नानं विशेषतः।
ब्रह्मलोकप्राप्तिकरं सर्वपापप्रणाशनम्॥"
ज्योतिषीय दृष्टि से —कार्तिक पूर्णिमा के समय सूर्य वृश्चिक राशि में और चंद्रमा वृषभ राशि में होता है। यह स्थिर-स्थावर योग बनाता है, जो धन, यश और सौभाग्य का कारक है।
🔯 लाल किताब के अनुसार पुष्कर में किए जाने योग्य उपाय :
पुष्कर तीर्थ में स्नान के पश्चात ये उपाय विशेष फलदायी माने जाते हैं (ज्योतिर्विद भाविका राजगुरु के अनुसार):
सूर्य उदय के समय ब्रह्म सरोवर में स्नान करते हुए यह मंत्र जपें —
“ॐ ब्रह्मणे नमः” (108 बार)
गायत्री देवी के मंदिर में दीपदान करें।
पीले पुष्प और चंदन से ब्रह्मा जी की पूजा करें।
पुष्कर स्नान के बाद गरीबों को लाल वस्त्र, घी और गुड़ का दान करें।
यदि कुंडली में ब्रहस्पति या सूर्य दुर्बल हो, तो पुष्कर स्नान से विशेष लाभ मिलता है।
🪶 ब्रह्मा जी का स्तोत्र (दैनिक जप हेतु) :
ॐ नमो ब्रह्मणे नमस्तेऽस्तु सृष्टिस्थितिलयात्मक।वेदस्वरूप सर्वज्ञ सर्वलोकपितामह॥
त्वं हि विश्वस्य कर्ता च पालकश्च त्वमेव हि।त्वं हि सर्वगुरुर्देवः सर्वज्ञानप्रदायकः॥
यह स्तोत्र कार्तिक पूर्णिमा या पुष्कर स्नान के समय जपना अत्यंत पुण्यदायी है।
🌼 ज्योतिषीय निष्कर्ष (भाविका राजगुरु की दृष्टि से) :
पुष्कर ब्रह्मस्थान अग्नि तत्व से संचालित है, जो सृष्टि और ज्ञान का प्रतीक है।
ब्रह्मा जी की कृपा से जातक की कुंडली में बुद्धि, रचनात्मकता और धर्मचेतना का विकास होता है।
जिनके कर्म भाव (दशम भाव) में अशुभ ग्रह हों, उनके लिए पुष्कर स्नान अत्यंत शुभ होता है।
यदि किसी व्यक्ति के जीवन में बार-बार प्रारंभ किए गए कार्य अधूरे रह जाते हों, तो ब्रह्मा पूजा से कार्य सिद्धि प्राप्त होती है।
🌺 श्लोक :
"नमस्ते ब्रह्मदेवाय वेदसृष्ट्यै नमोऽस्तु ते।
पुष्करे त्वं सदा स्थित्वा लोकानां मंगलं कुरु॥"
🌸 पुष्कर न केवल एक तीर्थ है, बल्कि यह सृष्टि की ऊर्जा का मूल स्रोत है — जहाँ ब्रह्मा, गायत्री और सावित्री की त्रिगुण शक्ति एकत्र होकर साधक को मोक्ष और ज्ञान की दिशा में प्रेरित करती है।इसीलिए कहा गया — “पुष्करं तु महापुण्यं” — और यही कारण है कि ब्रह्मा जी की पूजा केवल यहीं संभव है।
✍️ पुष्कर की लाल-किताब ज्योतिर्विद – भाविका राजगुरु
( लाल किताब एवं ब्रह्मयोग विश्लेषण विशेषज्ञा)




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